पर फिर भी क्या करे हमारा दोस्त हैं हमे खाना बनके खिलाता हैं पर सब्जी और खर्चा हम करेंगे वो सिर्फ बनाएगा भाई के नखरे भी हैं तो इस स्पेशल दोस्त का नाम हैं राकेश जिसे हम प्यार से (दाऊद) कहते है😂 क्युकी इसकी सारी शक्ल दाऊद से मिलती हैं जो आप आगे देखेंगे तो आप को भी यकीन हो जाएगा।
१. जून का महीना
तो शुरुआत होती हैं गर्मियों की छुट्टियों से वो जून का महीना था हम कॉलेज मैं साथ पढ़ते हैं हम हैं इंजीनियर तो हमे छुट्टियों मैं खाली बैठना पसंद नहीं हैं😜 तो मैंने इन गर्मियों की छुट्ट्यों मैं इंटर्नशिप करने की सोची और फॉर्म वगेरा भरने लगा और मेरे साथ कोई ओर था भी नहीं जो इंटर्न करना छटा हो मैंने उस टाइम दाऊद से पूछा नहीं था मगर जब पूछा तो बोला मैं भी चलूँगा तो हमदोनो ने इंटर्नशिप का फॉरम भर दिया।
फिर हमारी इंटर्न इंडियन रेलवेज मैं लग गई तो वो स्टार्ट थी एक जून से और हमारी छुट्टिया हो गई। सब चल पड़े अपने अपने घर हमारी छुट्टिया 15 मई से शुरू हो जाती हैं तो मैं और दाऊद चल दिए घर की तरफ और इंटर्न की तयारी मैं क्युकी ये हमारी पहली इंटर्नशिप थी तो एक जून आता हैं और हम हो जाते हैं इंटर्न के लिए तैयार एक जून को दाऊद और मैं पहुंच जाते हैं अम्बाला रेलवे स्टेशन जहाँ हमारी इंटर्न थी वहां देखा तो एक छप्परा सा था जिस्सके निचे रेललो का काम होता था तो अच्छा भी लग रहा था की एक नई जगह काम करने मैं मजा आएगा और हमे वहां मिल गया एक सरकारी क्वाटर जहां शराबी भरे पड़े थे जैसे तैसे हम भी उनमे ढल गए। 😓
२. सफर की शुरुआत
तो अब हमे रेलवे में इंटर्न करते करते 15 दिन हो चुके थे तो हमारी रेलवे में पहचान अच्छी हो चुकी थी एक दिन हमे एक रेलवे का कर्मचारी मिलता हैं जो हमारे साथ रहता था रेलवे के क्वाटर मैं और वो भी हमारे साथ ट्रेनिंग पे आया था कर्मचारी की भी 6 महीने मैं ट्रेनिंग होती हैं तो उसकी पोस्टिंग शिमला मैं थी और वो फिर हमारा अच्छा दोस्त भी बन गया था तो हमने उसको बोला था की हम आएँगे कभी शिमला। ... तो यहां से हमने शिमला के बारे में सोचना स्टार्ट किया। 

एक हमारा दाऊद जो आज तक कही बहार घुमा ही नहीं था वो दिल्ली भी 2008 मैं गया था😂 वो बस अपने गाऊँ मैं ही रहा हैं वो कैथल के गाऊँ सिवान का रहने वाला हैं तो मैंने उसके साथ शिमला जाने का प्लान बनाया की मैं भी घूम आऊंगा और दाऊद भी कही बहार घूमे गए पहली बार और मैंने अपने दोस्तों को पूछा जाने के लिए तो हम तैयार हुए दाऊद , रवि और मैं हम जाने के लिए हुए रेडी की शिमला मैं रहने का भी जुगाड़ था अपने दोस्त के रेलवे के क्वार्टर पे और फिर हम प्लान बना के निकल लिए कालका से शिमला की तरफ बाई ट्रैन अम्बाला से हिमालये क्वीन लेके और हमारा दाऊद जिसने चंढीगढ़ भी नहीं देखा था वो भी सही देखता हुआ चल रहा था। 😜
३. मिनी ट्रैन का सफर
तो हम अब पहुंच जाते हैं कालका जहाँ से मिलती हैं मिनी ट्रैन शिमला के लिए तो हमारा पहली बार का सफर मिनी ट्रैन का तो ज्यादा पता नहीं था उसके बारे मैं ऐसे ही पहुँच गये और वहां जाके देखा तो बहुत भीड़ थी पता चला उसकी बुकिंग एक दो महीना पहले ही करनी पड़ती हैं तो हमे सीट मिलना तो न मुमकिन था तो बस जर्नल डिब्बे की टिकट ली और चढ़ गए बस खड़े होने की जगहे थी कैसे न कैसे हम होलिये फिट उसमे मगर क्या पता था😋दाऊद तो शर्माने लगा और फिर ट्रैन चल पड़ी।
तो हमे थोड़ी दूर चलने पर सीट तो मिल गई और एक छोटी 5 साल की लड़की जो बहुत बोलती थी पूरा सफर कुछ न कुछ पूछ ती रही और बोलती रही मगर बहुत क्यूट थी😊 बोलते हुए भी अच्छी लग रही थी। ट्रैन भी बहुत आराम आराम से चल रही थी पहाड़ो के नज़ारे लेते हुए, गुफाओ से गुजरते हुए मजा आरहा था तभी हमे दो लड़किया दिखती हैं अपनी साइड वाली सीट पे जो की सफर म बोर न होने का कारण थी क्यूट और सूंदर भी थी जिसमे से एक पर दाऊद का दिल आगया उसे देखता रहा और पहाड़न लड़किया भी कुछ कम नहीं थी ये तो आप जानते ही हैं 😆
४. शिमला की ठण्ड
मिनी ट्रैन का सफर चलते चलते छे घंटे हो चुके थे जिसमे हम दो पहर को चले थे और पहुंचते पहुंचते रात हो चुकी थी एक बात हैं मिनी ट्रैन मैं लाइट नहीं होती जो की आशिको के लिए अच्छी बात भी हैं जो कपल्स वहां एंजोये करने जाते है और कुछ गलत भी हैं एक शुरक्षा की नजर से मगर हमे तो मजा आए रहा था क्यूंकि हमे मिल गई थी दो लड़किया जो हमारे दाऊद से नजरो मैं बात कर रही थी 😜तो हमरा तो टाइम कट रहा था और शिमला का मौसम ,पहाड़ो के नज़ारे ,सुरंगे अच्छा था और ट्रैन बिच बिच मैं रुक भी रही थी जहाँ पे हमारा अच्छा एंजोये हो रहा था और वहा स्टेशन पे खाने को भी अच्छा मिलता हैं।
अब हम पॅहुचते हैं शिमला के स्टेशन पे जहाँ ठण्ड बहुत थी और उपर से बारिश भी होने लगी जिससे हम कांपने लगे बस उस टाइम तो ऐसे था की शिमला वाला दोस्त जल्दी मिल जाये और चले उसके साथ फिर मेने उसके पास कॉल किया वो हमे स्टेशन पे लेने आया और हम उसके रूम पे रुकने के लिए चल दिए अब वो एक सरकारी क्वार्टर था तो बस उसमे दो बन्दे रुक सकते थे और हम हो गए थे पांच तीन हम एक वो खुद और एक उसका भाई भी आया हुआ था मगर हमे तो सोने के लिए छत चाइये थी हम बहुत थक चुके थे बस केसे ना कैसे सो गए और सुबह का इंतजार की घुमन जायँगे।
५. घूमने का मजा
सुबह होते ही हमें सिर्फ घूमने की लगी थी दाऊद तो पहली बार बहार गया था तो उसको तो सिर्फ घूमना ही था तो हम हुए रेडी जाने के लिए इतनी ठण्ड में नहाये😅 और निकल लिए माल रोड के लिए देखते हुए वहां के रोड पहाड़ और क्राउड देखते हुए चल रहे थे वहां का खाना भी ठीक था तो हमे चलते हे उप्पर की तरफ जिसमे पहले आती हैं चर्च जो शिमला की फेमस जगह में से एक हैं वहां का भी अलग ही मजा हैं वह की भीड़ वाओ मजा ही आगया देख के और दाऊद की तो आंखे ही खुली रह गयी थी बोला मैं नहीं जाता यहां से। 😂फिर भी हम उसे ले जाते हैं कुछ खाने केलिए तो हम थोड़ा और उपर गए कुछ खाया थोड़े भोत फोटो वगेरा ली थोड़ा लड़कियों को देखा थोड़ा नज़ारे लिए और फिर सबसे ऊपर एक हनुमान का मंदिर था जिसका नाम था झाखू मंदिर जो की शिमला में लगता हैं सबसे ऊँचे वाली पहाड़ी पे हैं और फिर हम सब उसके लिए चल दिए जिसमे हमने दाऊद के साथ बहुत मस्ती करी हमसे दाऊद परेशांन हो जाता हैं। 😂
फिर हम चढ़ते चढ़ते हांफ्ते पहुँच ही जाते हैं जाखू मंदिर जहां का हनुमान पुरे शिमला को दिख्हता हैं वहां के बंदर बहुत शैतान जो कुछ भी उठाके ले जाते हैं ओर उसके बदले मैं खाने का लेते हैं उन्हीने ये बिसनेस बना रखा हैं मगर जो भी था मजा आया हम कहा मंदिर देख रहे थे वह के नज़ारे ही कुछ और थे। और फिर जाने का टाइम होता हैं और हम उसी मौज मस्ती से निचे आते हैं दावूद को परेशांन करते करते और निचे आके कुछ खाते हैं और आखिर मैं अपने रेलवे वाले दोस्त के साथ रेल म्युसियम देखते हैं सच् मैं भोत मजा आया रेलवे वाले दोस्त का धन्यवाद्।
और फिर उसी श्याम हम अपने घर की तरफ हो लेते हैं इस बार हम बस लेते हैं क्युकी ट्रैन का टाइम होता हैं जिस पर हम पहुँच नहीं पाते तो बस से जाते हैं चल तो पड़े मगर दाऊद और मैं तो उलटियो से परेशान होगये और कैसे न कैसे पहुंच ही गए अम्बाला और रवि चला गया सोनीपत। ये थी हमारी दाऊद के साथ पहली ट्रिप जो हमेशा याद रहेगी।
FOR MORE BLOGS CLICK HERE
कहानी पर बने रहने के लिए धन्यवाद। 😊
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
How can I help u