हेलो गाइज आपसे दुबारा मिलकर बहुत ख़ुशी हुई। आशा करता हूँ आप सब खुश और सुरक्षित होंगे। मेरे न्यू ब्लॉग मैं आपका स्वागत हैं वेलकम टू माय न्यू ब्लॉग।🙏 आज मैं आपको लेके चलूँगा कुछ ऐसे सफर पे जिसे मैं तो आज तक भूल नहीं पाया और मुझे लगता हैं अगर आप भी इसे पढ़ेंगे तो भूल नहीं पायंगे। 😋
१. दोस्त
दोस्त , ये वो लोग होते हैं जिनके साथ भी आप कुछ नहीं क्युकी दो मिलके तीसरे की बेइज्जती करते रहते हैं 😂और इनके बेगैर भी अप्प कुछ नहीं। जिनकी कमी उनके दूर रहने पे महसूस होती है।
तो मेरे भी कुछ ऐसे ही दोस्त हैं जो मेरे दिल के और रूम के पास ही रहते हैं। ये हैं रवि (मेरा रूम मेट ) , ऋषि , मैं , पार्थ और गुलाटी।
मैं भी किया हैं और इसमें अब की बार कुछ नए सदस्य जुड़े हैं जैसे पार्थ और गुलाटी तो मैं आपको बता दू की पार्थ एक हमारा ऐसा दोस्त हैं जो जो सिर्फ घूमने के लिए काम आता हैं क्युकी उसने कॉलेज बिच मैं ही छोड़ दिया पता नहीं क्यों पर शक हैं की अपने बाबू का बिसनेस हड़पना चाहता हैं😂 और रही बात गुलाटी की तो वो भाई आमिर बाप की औलाद स्टेटस ही अलग है वो बिचारा जबरदस्ती ही पढ़ रहा है उसका बाबू मैथ का HOD हैं और उस बिचारे की मैथ की supply नहीं क्लियर हो रही। 😂
आगे आपको पता ही होगा की हमरा कैसे प्लैन बनता हैं और कैसे जाने के लिए बंदे डीसाइड होते हैं। अगर नहीं पता तो उपर लिंक पे क्लिक करो और हमारी प्लैनिंग देखो।
हमारी छुट्टिया सिर्फ शनिवार और रविवार की होती है तो हमे एक दिन का ट्रिप देखना था जिसमे पलेंन बना पोंटा साहिब , देहरादून ,ऋषिकेश ,हरिद्वार ,सहारनपुर , यमुना नगर पर फिर कॉलेज ये एक छोटा सा पलाइन बना जो पता नहीं था की इतना बड़ा हैं।😆 जो प्रॉब्लम हमने इस ट्रिप मैं झेली हैं वो मैं कभी नहीं भूल पाउँगा जो मैं आपके साथ एक एक करके शेयर करूँगा।
२. सुबह सात बजे
तो हम चार बन्दों का जाना फ़ाइनल हुआ था क्युकी हमारे पास एक गुलाटी की स्कूटी और एक ऋषि की बाइक होती हैं जीनपे दो दो बन्दे आराम से बेठ के जा सकते हैं मगर तभी हमारा रवि बोलता है की मैं भी चलूँगा पहले तो इसे अपनी सेटिंग से मिलने जाना था पर वो भी इससे दुखी हैं 😂 उसने भी मिलने से मना कर दिया और ये भी हमारे साथ स्कूटी पे लटक लिया।
वो रविवार के सुबह सात बजे बाइक पे दो और हम कैसे न कैसे स्कूटी पे तीन अपने पाच्छे सेट करके निकल दिए पोंटा साहिब की ओर...
और अब यहा से शुरुआत होती हैं हमारी समस्याएं ये समस्याएं हमारा पीछा वापस आने तक नहीं छोड़ेंगी
अब होता हैं क्या की गुलाटी रवि और मैं चल रहे थे स्कूटी पे अपने मजे लेते और चलते चलते एक मोड़ पे रुकते हैं और अपने बाइक वालो को देखते हैं जो की हमे दिखते नहीं। हम करते हैं फिर उन्हें फोन तो पता चलता हैं की हमारे पार्थ साहब ने हाइवे पे अपना नजर का चस्मा गिरा दिया अब उसको छोड़ भी नहीं सकते क्युकी साले को उसके बिना दीखता भी नहीं 😂 और अब हम जा रहे हैं उलटे रस्ते जिससे आये थे पार्थ का चस्मा देकते देखते उसमे कम से कम हमारा आधा घंटा लग गया और फिर उसका चस्मा रोड के बिच मे पड़ा दिखा
चलो टुटा नहीं, नहीं तो हाइवे पे कोण छोड़ ता हैं।खेर फिर हम राहत की साँस लेके चलते हैं पोंटा सैहब की और....
३. वो मौसम
तो सड़क को पीछे छोड़ते छोड़ते हम पोहचते हैं पोंटा साहिब जहाँ से शुआत होती पहाड़ो की , वो हरियाली भरे रोड दुनिया की इस चेचाहत से दुर् शांति मैं😜 , वो गरजते बादल ठंडी ठंडी हवाइये तो उस मौसम का मजा लेने के लिए हम रुके पोटा साहेब के खाली रास्तो पे जहाँ हमने थोड़ी बहुत पिक्स ली जो हर कोई करता हैं इन् हंसी पलो को बाद मैं याद करने के लिए।
पर मेने बताया हमारे लिए कोनसे हंसी पल एक तो स्कूटी पे तीन लोग और उप्पर से हमारी समस्याएं जो पीछा नहीं छोड़ रही थी। तो अब हम आगे बढ़ते हैं घूमते हुए पोंटा सैहब की मार्किट और गुरुद्वारा और फिर हमरी समस्या की हम ट्रिपलिंग नहीं कर सकते स्कूटी पे तो इसका उपाए हमने ये निकला की एक बंदा पुलिस वालो ( मामा )😉 से बचने के लिए चौक पे उत्तरेगा। तो पोंटा साहिब मैं पार्थ बैठा था स्कूटी पे तो हर चौक पे वो उत्तरा और पेैदल चला बेचारा 😁
तो कुछ इस परकर हम पोंटा साहिब करते हैं पार और चलते हैं अपने अगले मंजिल देहरादून की तरफ मगर हमारी समस्याए। ..... 😅
४. अब क्या करें
अब चलते चलते हमरा हो जाता हैं पेट्रोल ख़त्म और रास्ता हैं कुछ ऐसा जहां हमारे सीवा और कोई दीखता नहीं। रास्ता खली आस पास जंगल फिर हमे कुछ दूर चलने पर एक उम्मीद की किरण दिखी हमे एक पेट्रोल पंप मिलता हैं। 😪
जहा से हम भरवाते हैं पेट्रोल और अब हम होते हैं रेडी चलने के लिए अपनी अगली मंजिल क लिए और तभी हमारी हो जाती हैं स्कूटी ख़राब 😓अब वो स्टार्ट नहीं होक दे रही थी और अब रात भी होती जा रही थी। किसी से पूछे की आगे मैकेनिक होगा तो बोले आगे तो दिर्फ़ जंगल है और पीछे कम से कम आपको पांच किलोमीटर जाना होगा तब एक छोटा सा गाओं है वहां मैकेनिक मिल सकता हैं। ये सुनके और फट गई 😜हालत ख़राब , करे तो करे क्या वापस जाये या आगे देखे।
फिर हमने वापस जाना ठीक समझा और तीन बन्दों को छोड़ा पेट्रोल पंप पे और एक जना स्कूटी पे और एक बाइक से स्कूटी को लात लगा कर चल पड़ता है गाओ की ओर फिर कुछ दूर चलने पर हमे भगवन की दया से एक दुकान मिलती हैं और वहां हमने फिर स्कूटी ठीक कराइ उन्हें लिया पंप से और फिर राहत की सांस लेते हुए चले आगे की ओर....
५. वेलकम टू देहरादून
तो अब हम अपनी परेशानियों को झेलते हुए कैसे न कैसे पोहचते हैं देहरादून वहां का जो मोहोल था आय-हाय
बस दीवाना कर दे साफ रोड चारो तरफ हरयाली ही हरयाली😜 अचे अचे कॉलेजेस और उनकी लड़कीआ साही बताओ तो वह पर कोई बाइक ऐसी नहीं थी जिसक पीछे लड़की न बैठी हो ऐसे कपल्स गेडिया मार रहे थे और हमारा जी जल रहा था चलो छोड़ो पर क्याकर सकते हैं 😂
और फिर शहर में घुसते ही फिर हमारी ट्रिपलिंग की प्रॉब्लम शुरू हो गई और इस बार मेने सारे देहरादून के चौक चल चल के पार किये😂 ये लोग मुझे पुलिस न भी हो तब भी उतार देते थे चला के खुस होते हैं ये दोस्त होते ही ऐसे हैं 😡
और हम देखते हैं देहरादून सच्ची अच्छा शहर हैं देहरादून आप लोगो को भी गुमके आना चाइये एक बार आने का मन नहीं करेगा।
हमने IMA देखा जिसमे आर्मी ऑफिसर्स की ट्रेनिंग होती है वो भी हमारे लिए एक प्राउड का मोमेंट था और आगे चलते हैं तो हमे एक कॉलेज देखता हैं जिसको हम मैं से एक बोलता हैं की यह स्टूडेंट ऑफ़ थे ईयर की शूटिंग हुई थी 😂अब ये सब देहते देखते हम चल पड़ते हैं अपनी अगली प्रोब्लेम्स को फेस करने जोकि इनसे भी खतरनाक हैं जिनको सुनकर आपको भी डर लगने लगेगा और हम चल पड़ते हैं अपनी अगली मांजील की और वो थी ऋषिकेश .......
और जो हुआ हमारे साथ ऋषिकेश में उसके लिए आपको मेरे अगले ब्लॉग का इंतजार करना होगा जो की रविवार को आने वाला हैं उसके लिए आप मुझे फॉलो कर सकते हैं फॉलो बटन पर क्लिक करके ताकि मेरे आने वाले ब्लॉग की खबर आपको मिलती रहे।
अगर आप्को कोई पल अच्छा या आपकी लाइफ से मिलता जुलता लगता हैं तो मुझे निचे कमेंट करके जर्रूर बताये। मैं इंतजार करूँगा।
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धन्यवाद। ...... 😊
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