DAOUD GAYA SHIMLA

DAOUD GAYA SHIMLA
AN INTERESTING AND FABULOUS PERSON NAMED DAOUD MY FRIENDS LIFE'S FIRST JOURNEY TO SHIMLA FULL OF MASTI

A Trip To Morni Hills

A Trip To Morni Hills
An adventurous and interesting bike ride in Morni Hills with a great twist

The unstoppable road trip

The unstoppable road trip
There is five friend which decide to go on road trip by bikes through 5 to 6 districts in one day

The Diverted Train

The Diverted Train
There are two friend which lost in train direction

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DAOUD GAYA SHIMLA

Chaman Nagar
हेलो गाइज आपसे दुबारा मिलकर बहुत  ख़ुशी हुई। आशा करता हूँ  आप सब खुश और सुरक्षित होंगे। मेरे  न्यू  ब्लॉग मैं आपका स्वागत हैं वेलकम टू माय न्यू  ब्लॉग।🙏 आज मैं आपको एक ऐसे शक्श से मिलवाना चाहूंगा जो बहुत मजेदार और इंट्रेस्टिंग बंदा हैं जो हमेशा पैसे मांगता रहता हैं चाहे पैसे उसके पास हो पर फिर भी बोलता हैं खिलादे यार मैं तर्को बाद में देदूंगा😂  और फिर चार महीने बाद जब हमे कुछ याद नहीं रेहता तब वो हमे थोड़े बहुत पैसे देता हैं और हम कुछ ज्यादा कहे की पुरे नहीं हैं तो बोलता हैं गिनवा दे। 😏

पर फिर भी क्या करे हमारा दोस्त हैं हमे खाना बनके खिलाता हैं पर सब्जी और खर्चा हम करेंगे वो सिर्फ बनाएगा भाई के नखरे भी हैं तो इस स्पेशल दोस्त का नाम हैं राकेश जिसे हम प्यार से (दाऊद) कहते है😂 क्युकी इसकी सारी शक्ल दाऊद से मिलती हैं जो आप आगे देखेंगे तो आप को भी यकीन हो जाएगा। 

१. जून का महीना 

तो शुरुआत होती हैं  गर्मियों की छुट्टियों से वो जून का महीना था हम कॉलेज मैं साथ पढ़ते हैं हम हैं इंजीनियर तो हमे छुट्टियों मैं खाली बैठना पसंद नहीं हैं😜  तो मैंने इन गर्मियों की छुट्ट्यों मैं इंटर्नशिप करने की सोची और फॉर्म वगेरा भरने लगा और मेरे साथ कोई ओर था भी नहीं जो इंटर्न करना छटा हो मैंने उस टाइम दाऊद से पूछा नहीं था मगर जब पूछा तो बोला मैं भी चलूँगा तो हमदोनो ने इंटर्नशिप का फॉरम भर दिया। 

फिर हमारी इंटर्न  इंडियन रेलवेज मैं लग गई तो वो स्टार्ट थी एक जून से और हमारी  छुट्टिया हो गई।  सब चल पड़े अपने अपने घर हमारी छुट्टिया 15 मई से शुरू हो जाती हैं तो मैं और दाऊद चल दिए घर की तरफ और इंटर्न की तयारी मैं क्युकी ये हमारी पहली इंटर्नशिप थी तो एक जून आता हैं और हम हो जाते हैं इंटर्न के लिए तैयार एक जून को दाऊद और मैं पहुंच जाते हैं अम्बाला रेलवे स्टेशन जहाँ  हमारी इंटर्न थी वहां  देखा तो एक छप्परा सा था जिस्सके निचे रेललो का काम होता था तो अच्छा भी लग रहा था की एक नई  जगह काम करने मैं मजा आएगा और हमे वहां  मिल गया एक सरकारी क्वाटर जहां  शराबी भरे पड़े थे जैसे तैसे हम भी उनमे ढल गए। 😓

२. सफर की शुरुआत 

                                                        
तो अब हमे रेलवे में इंटर्न करते करते 15 दिन हो चुके थे तो हमारी रेलवे में पहचान अच्छी हो  चुकी थी एक दिन हमे एक रेलवे का कर्मचारी मिलता हैं जो हमारे साथ रहता था रेलवे के क्वाटर मैं और वो भी हमारे साथ ट्रेनिंग पे आया था कर्मचारी की भी 6 महीने मैं ट्रेनिंग होती हैं तो उसकी पोस्टिंग शिमला मैं थी और वो फिर हमारा अच्छा दोस्त भी बन गया था तो हमने उसको बोला था  की हम आएँगे कभी शिमला। ...  तो यहां  से हमने शिमला के बारे में सोचना स्टार्ट किया। 

एक हमारा दाऊद जो आज तक कही बहार  घुमा ही नहीं था वो दिल्ली भी 2008 मैं गया था😂 वो बस अपने गाऊँ मैं ही रहा हैं वो कैथल के गाऊँ सिवान का रहने वाला हैं तो मैंने उसके साथ शिमला जाने का प्लान बनाया की मैं भी घूम आऊंगा और दाऊद भी कही बहार घूमे गए पहली बार और मैंने अपने दोस्तों को पूछा जाने के लिए तो हम तैयार हुए दाऊद , रवि और मैं हम जाने के लिए हुए रेडी की शिमला मैं रहने का भी जुगाड़ था अपने दोस्त के रेलवे के क्वार्टर पे और फिर हम प्लान बना के निकल लिए कालका से शिमला की तरफ बाई ट्रैन अम्बाला से हिमालये क्वीन लेके और हमारा दाऊद जिसने चंढीगढ़ भी नहीं देखा था वो भी सही देखता हुआ चल रहा था। 😜

३. मिनी ट्रैन का सफर 

तो हम अब पहुंच जाते हैं कालका जहाँ  से मिलती हैं मिनी ट्रैन शिमला के लिए तो हमारा पहली बार का सफर  मिनी ट्रैन का तो ज्यादा पता नहीं था उसके बारे मैं ऐसे ही पहुँच गये और वहां  जाके  देखा तो बहुत भीड़ थी पता चला उसकी बुकिंग एक दो महीना पहले ही करनी पड़ती हैं  तो हमे सीट मिलना तो न मुमकिन था तो बस जर्नल डिब्बे की टिकट ली और चढ़ गए बस खड़े होने की जगहे थी कैसे न कैसे हम होलिये फिट उसमे मगर क्या पता था😋दाऊद तो शर्माने लगा और फिर ट्रैन चल पड़ी। 



तो हमे थोड़ी दूर चलने पर सीट तो मिल गई और एक छोटी 5 साल की लड़की जो बहुत बोलती थी पूरा सफर कुछ न कुछ पूछ ती रही और बोलती रही मगर बहुत क्यूट थी😊 बोलते हुए भी अच्छी  लग रही  थी। ट्रैन भी बहुत आराम आराम से चल रही थी पहाड़ो के नज़ारे लेते हुए, गुफाओ से गुजरते हुए मजा आरहा था तभी हमे दो लड़किया दिखती हैं अपनी साइड वाली सीट पे जो की सफर म  बोर न होने का कारण थी क्यूट और सूंदर भी थी जिसमे से एक पर दाऊद का दिल आगया उसे देखता रहा और पहाड़न  लड़किया भी कुछ कम नहीं थी ये तो आप जानते ही हैं 😆

४. शिमला की ठण्ड 

मिनी ट्रैन का सफर चलते चलते छे घंटे हो चुके थे जिसमे हम दो पहर को चले थे और पहुंचते पहुंचते रात हो चुकी थी एक बात हैं मिनी ट्रैन मैं लाइट नहीं होती जो की आशिको के लिए अच्छी  बात भी हैं जो कपल्स वहां  एंजोये करने जाते है और कुछ गलत भी हैं एक शुरक्षा की नजर से मगर हमे तो मजा आए रहा  था  क्यूंकि हमे मिल गई थी दो लड़किया जो हमारे दाऊद से नजरो मैं बात कर रही थी 😜तो हमरा तो टाइम कट रहा था और शिमला का मौसम ,पहाड़ो के नज़ारे ,सुरंगे अच्छा था और ट्रैन बिच बिच मैं रुक भी रही थी जहाँ पे हमारा अच्छा एंजोये हो रहा था और वहा स्टेशन पे खाने को भी अच्छा मिलता हैं। 


अब हम पॅहुचते हैं शिमला के स्टेशन पे जहाँ  ठण्ड बहुत थी और उपर  से बारिश भी होने लगी जिससे हम कांपने लगे बस उस टाइम तो ऐसे था की शिमला वाला दोस्त जल्दी मिल जाये और चले उसके साथ फिर मेने उसके पास कॉल किया वो हमे स्टेशन पे लेने आया और हम उसके रूम  पे रुकने के लिए चल दिए अब वो एक सरकारी क्वार्टर था तो बस उसमे दो बन्दे रुक सकते  थे और हम हो गए थे  पांच तीन हम एक वो खुद और एक उसका  भाई भी आया हुआ था मगर हमे तो सोने के लिए छत चाइये थी हम बहुत थक चुके थे बस केसे ना कैसे सो  गए और सुबह का इंतजार की घुमन जायँगे।

५. घूमने का मजा 

सुबह होते ही हमें सिर्फ घूमने की लगी थी दाऊद तो पहली बार बहार गया था तो उसको तो सिर्फ घूमना ही  था  तो हम हुए रेडी जाने के लिए  इतनी ठण्ड में नहाये😅 और निकल लिए माल रोड के लिए देखते हुए वहां के रोड पहाड़ और क्राउड देखते हुए चल रहे थे वहां का खाना भी ठीक था तो हमे चलते हे उप्पर की तरफ जिसमे पहले आती हैं चर्च जो शिमला की फेमस जगह में से एक हैं वहां  का भी अलग ही मजा हैं वह की भीड़ वाओ  मजा ही आगया  देख के और दाऊद की तो आंखे ही खुली रह गयी थी बोला मैं नहीं जाता यहां से। 😂फिर भी हम उसे ले जाते हैं कुछ खाने केलिए तो हम थोड़ा और उपर गए कुछ खाया थोड़े भोत फोटो वगेरा ली थोड़ा लड़कियों को देखा थोड़ा नज़ारे लिए और फिर सबसे ऊपर एक हनुमान का मंदिर था जिसका नाम था झाखू मंदिर जो की शिमला में  लगता हैं सबसे ऊँचे वाली पहाड़ी पे हैं और फिर हम सब उसके लिए चल दिए जिसमे हमने दाऊद के साथ बहुत मस्ती करी  हमसे दाऊद परेशांन हो जाता हैं। 😂
 फिर हम चढ़ते चढ़ते हांफ्ते पहुँच ही जाते हैं जाखू मंदिर जहां का हनुमान पुरे शिमला को दिख्हता हैं वहां के बंदर बहुत शैतान जो कुछ भी उठाके ले जाते हैं ओर उसके बदले मैं खाने का लेते  हैं  उन्हीने ये  बिसनेस बना रखा हैं  मगर जो भी था मजा  आया  हम कहा मंदिर देख रहे थे वह के नज़ारे ही कुछ और थे। और फिर जाने का टाइम होता हैं और हम उसी मौज मस्ती से निचे आते हैं दावूद को परेशांन करते करते और निचे आके कुछ खाते हैं और आखिर मैं  अपने रेलवे वाले दोस्त के साथ रेल म्युसियम देखते हैं  सच् मैं भोत मजा आया रेलवे वाले दोस्त का धन्यवाद्। 

और फिर उसी श्याम हम अपने घर की तरफ हो लेते हैं इस बार हम बस लेते हैं क्युकी ट्रैन का टाइम होता हैं  जिस पर हम पहुँच नहीं पाते तो  बस से जाते हैं  चल तो पड़े मगर दाऊद और मैं तो उलटियो से परेशान होगये और कैसे न कैसे पहुंच ही गए अम्बाला  और रवि चला गया सोनीपत।  ये थी  हमारी दाऊद के साथ पहली ट्रिप  जो हमेशा याद रहेगी। 

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कहानी पर बने रहने के लिए धन्यवाद। 😊
 


THE DIVERTED TRAIN 12460

Chaman Nagar
हेलो गाइज आपसे दुबारा मिलकर बहुत  ख़ुशी हुई। आशा करता हूँ  आप सब खुश और सुरक्षित होंगे। मेरे  न्यू  ब्लॉग मैं आपका स्वागत हैं वेलकम टू माय न्यू  ब्लॉग।🙏 आज मैं आपको दो दोस्तो की ऐसी कहानी बताने वाला हूँ  जो आज तक भी वो भूले नहीं हैं इस कहानी मैं डर , सस्पेंस और मजा हैं। ये जो दो दोस्तों के साथ हुआ था इसे आप घटना भी कह सकते हैं।  
इस घटना मैं जो दो  दोस्त हैं वो मैं और मेरा दोस्त गौरव(बिल्डर) हैं। 😂तो  हमें जाना था अम्बाला से दिल्ली ये सफर कम से कम तीन से चार घंटे का था पर उस दिन हमने ये सफर सात घंटे मैं ख़त्म किया और जो इस बिच हुआ वो मैं आपको बताता हूँ बहुत मजा आएगा। 

१. कॉलेज की छुट्टियां 

तो इस कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार होती हैं की होली के दिन चल रहे थे और हमारी हुई थी होली की कुछ दिन की छुट्टियां तो छुट्टियों मैं जाना होता हैं घर और हमने इसी  चाह मैं पेहले ही कर ली थी ट्रैन की टिकट बुक और हम कर  रहे थे चलने की तैयारी।
Choose Happiness Every Time
फिर वो दिन आता हैं जिस दिन हमे जाना था अपने घर तो मैं और बिल्डर हुए तैयार जाने के लिए अगर आप बिल्डर को या मेरे दोस्तों को नहीं जानते हो तो मेरे पिछ्ले ब्लॉग पढ़े   Other blog
बिल्डर रहता हैं हॉस्टल मैं और मैं पीजी मैं तो स्टेशन जाने के लिए बस लेनी होती हैं  तो बिल्डर मुझे कॉल करता हैं निकल ले भाई और मैं देखता हूँ की बहार उस दिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और मैं उसी बारिश मैं निकल लिया। और फिर हम अड्डे पर मिले और बस पकड़ी हम बहुत  खुश थे की हम घर जा रहे हैं पर हमे आगे का क्या पता था  हमारे साथ 😂और हम निकल लिए अम्बाला स्टेशन की ओर ट्रैन के लिए। 

२. प्लेटफार्म न. तीन 

 अब हम दोस्तों के पेसो का लेंन देन का हिसाब लगाते हुए , बस के गाने सुनते सुनते और बारिश के मजे लेते हुए पहुचे अम्बाला जहां से हमें लेनी थी अपनी ट्रैन।  मैं आपको बतांदु  की हमारा  बिल्डर ट्रैन में कम ही सफर करता  हैं क्युकी उसे लगता हैं की ये लेट होती हैं तो इसलिए वो बस से जाता हैं मगर उस दिन मैं उसको लेके आया ट्रैन मैं क्युकी मैं तो ट्रैन से ही अता जाता हूँ मैंने उसको बोला  कही ना लेट होती तू चल और उसी दिन मेरे भाग फूटे थे बिचारे बिल्डर को भी साथ ले गया 😂
तो हम कुछ खाते हैं क्युकी हम कुछ लेके नहीं चलते हैं साथ क्युकी पता हैं सफर कम ही हैं क्यों बोज  मरे 😜
और फिर अंदर गए स्टेशन  के और हमने देखा की हमारी ट्रैन एक घंटे लेट थी और मैं इस ट्रैन में आता जाता था तो मुझे पता था की ये ट्रैन छे न. प्लेटफॉर्म पर आती हैं और मैं बिल्डर को लेकर चल पड़ा छे न. की तरफ ओर तभी ...
The joy of losing myself in the city is the discovery of hidden ...
 एक ट्रैन  प्लेटफॉर्म  न. तीन पर आती है और हम थोड़े दूर थे ट्रैन से तो मुझे थोड़ा कम ही दिख्ता हैं दूर का तो मैंने बिल्डर को बोला ट्रैन का न. और नाम देखने को पर क्या पता था बिल्डर भी मेरे जैसा है उसे भी नहीं  दीखता 😂 क्युकी वो ट्रैन बिलकुल वोही पेंट वोही बोगी का स्टाइल था मुझे लगा की यही अपनी ट्रैन हैं  और वो हमारी जो ट्रेन थी उसी के टाइम पर आती  हैं तो और यकीन सा हो जाता हैं और फिर हमने उसके पास जाके देखा तो नाम भी ठीक था ट्रैन का रूट  भी ठीक था दिल्ली जाने वाला और ये देख के हम फटाफट उसमे  बेठ  लिए और वो ट्रैन थी बिलकुल खली फिर भी हमने सोचा की होली का टाइम हैं होसकता हैं उसकी वजह से हो मगर हमे कहा  पता था की यो कोई और ही ट्रैन हैं और दस मिनट बाद वो ट्रैन स्टेशन से चल पड़ी। 

३. अब कुछ नहीं हो सकता 

और हमारी बोगी मैं उन कम से कम दस लोगो के साथ वो ट्रैन चल पड़ी और हम अपने सीट ढूंढ के बेठ  गए की अब बस दो -तीन घंटे मैं पहुंच जायँगे। 😆 और फिर अता हैं पहला स्टेशन जो सिर्फ  दस मिनट   मैं  आजाता हैं  हमारी ट्रैन का न. था 12460 जिसका पहला स्टेशन था करुक्षेत्र पर जहा हम पॉऊचे वो था बराड़ा और जब हमने ये देखा तो हमारे हो गए थे होश धोले  तभी मेने बिल्डर को बहार भेजा ट्रैन का न. और नाम दुबारा देखने को पर वो सब वही था  जो गलत था फिर मेने एक बंदे से पूछा जो लोकल सा लग रहा था  और वो कहता हैं की भाई ये वो ट्रैन नहीं हैं 😐 और अब हमें ना तो ट्रैन का न. पता था और ना  ही नाम  और यहां  से स्टार्ट होता हैं हमारा गुमनाम सफर जिस रस्ते पर हम कभी गए नहीं थे।  तब हमें लगता की अब कुछ नहीं हो सकता अब तो इसी मैं चलना पड़ेगा। 

मुझे पता हैं  सोच रहे होंगे की हम बिच मैं क्यों नहीं उतरे मैं अपको बताऊ की जिस रस्ते पे हम थे उस रस्ते का कही से भी कोई कनेक्शन नहीं था करुक्षेत्र वाली लाइन से जोकि हम ट्रैन ही बदल ले और अगर हमे दुबारा उत्तर कर  अम्बाला जाना होता तो उसकी ट्रैन बहुत लेट थी उस स्टेशन से और बस और कुछ वहां  से जाता नहीं था तो हमने इसमें ही रहने की सोची की एक घंटा लेट सही पर दिल्ली तो पहुंचा  ही देगी मगर...... 

४. ट्रैन के हालात 

अब हम एक ऐसी ट्रैन मैं थे जिसका हमे कुछ नहीं पता की कहा रुकेगी, कितनी देर रुकेगी और उसका  कोई भरोसा भी नही था की कही भी रुक जाती थी और बहुत देर तक रुकी रहती थी। अब मैं आपको ट्रैन के अंदर के हालत बताता  हूँ  जिसमे एक शादी का न्या  जोड़ा, एक अंकल जो करीब तीस -पेतिस की उम्र के थे एक जो थोड़े साठ की उम्र के थे जो की अपने फ़ोन पे लगे हुए थे पूरी तरीन में उसी की आवाज आ रही थी , दो हम और एक दो मुस्लमान औरत बैठी थी। तो बस यही कुछ दस आदमी थे पूरी बोगी मैं और ऐसा ही और डब्बों का हाल था। 
How to Overcome confusion?? | Grip 2 Life !
अब मेने कही ना कही से उस गाड़ी के रुट का पता  चलाया जो पता चला की ये ट्रैन  सहारनपुर ,मुज्जफरनगर, मोदी नगर , मेरठ से होती हुई दिल्ली जायगी।  जो की कम से कम छे घंटे ले ले गी दिल्ली जाने के लिए और जैसे उसके हाल थे रुकते रुकते चलना तो हमे दस घंटे लग रहा था। 
अब क्या करे जैसा था ठीक था मगर अब हमने न कुछ खाया था न पिया था तो  भूख भी लग रही थी ऊपर से ट्रैन ऐसी की उसमे ना कोई खाने वाला आता और नकोई पानी वाला तो इस से  हम बहुत परेशान हो चुके थे और इसमें हम नहीं हमारे साथ बैठे हुए और भी सब को परेशानी हो रही थी क्यूकी किसी को कुछ पता ही नहीं था और अब हम चल रहे हैं उतर प्रदेश के सुनसान रास्तो जहाँ सिर्फ एक ही ट्रैन आ-जा सकती हैं जहा ऐसा लग रहा था की यहाँ  लूट-पाट भी  हो सकती हैं मगर भगवान की दया से कुछ हुआ नहीं। अब हमें चले कम से कम चार घंटे हो चुके थे तो घर वालो के फ़ोन भी आने शुरू हो गए की अब तक तो तुम पहुंच  जाते हो और अब हम उन्हें ये सब बताते हैं और फिर वो भी परेशान और अब हम पहुंचे मुजफरनगर लगा की बस अब तो पहुच ही जायँगे बस आने वाला हैं दिल्ली और फिर एक आदमी हमारी ट्रैन में चढ़ता हैं और हमसे पूछता हैं की ये  ट्रैन दिल्ली जायगी ना अब मेरे पास उसको कहने के  लिए कुछ नहीं  मैं उसको क्या बताता की जाएगी तो पर पता नहीं कैसे मगर फिर भी मेने अपनी गर्दन हिला दी की हाँ  जायगी अब और कहता भी क्या क्युकी वो बिचारा अपनी ट्रैन छोड़ कर  हमारी मैं आके  बठा था हमे हंसी भी आ रही थी की ये भी आगया गुमनाम ट्रैन में 😂फिर वो चल पड़ी  स्टेशन से और तभी। ....... 

५. अब बस बहुत हुआ 😖

अब हमारी शक्ल देखने लायक हो चुकी थी न कुछ खा रखा न कुछ पी  रखा बस चले जा रहे और अपनी मंजिल का इंतजार कर रहे अब तो बस  ये था की कैसे न कैसे पहुँच जाएँ  और हम निकले मुज्जफरनगर से तभी हमे पता चलता हैं की हमारी ट्रैन अब फिर डाइवर्ट हो चुकी हैं 😦 अब ये और पेरशानी आ गई पहले ही कुछ ज्यादा नहीं पता था इस ट्रैन के बारे मैं अब ये और। 

Panic Attacks and Panic Disorder - HelpGuide.org
और अब हम चल पड़े  ऐसे इलाको मैं जहा स्टेशन पे एक बाँदा भी न दिखे  और अब श्याम भी होनी स्टार्ट हो गई थी और बारिश का कहर भी  चल पड़ा था।  कही से पता चलता हैं की अब ये ट्रैन मोदी नगर ,मेरठ के रस्ते नहीं कोई शामली और बड़ौत के रस्ते होते हुये दिल्ली जायगी। अब चलते चलते जो हमारी और दूसरे यात्रियों की हालत होती हैं कोई बोलता हमे यही उतर दो , कोई तो रोने लग गया की कहा ले आये हमें क्युकी जहा  चार घंटे लगने थे अब वहा दस लग रहे थे तो सबको चिंता हो चुकी थी मगर हमारी ट्रैन ऐसी थी जहा  रुकना चाइये वह रुक नहीं रही थी और जहा नहीं रुकना चाइये  वहां  रुक रही थी कोई कोई तो सोच रहा था की चलती से कूद लो अब आप  देख सकते हैं की लोग  कितने परेशान हो चुके थे अब हम कैसे न कैसे पॅहुचते हैं शामली जहा  किसी ने ट्रैन की चैन खिच दी थी उसमे कम से कम ट्रैन एक घंटा रुकी रही  और हम एक दूसरे को समझाने मैं लगे हैं की कुछ नहीं होगा सब ठीक हो जायगा पैनिक नहीं होना चाइये ऐसी प्रॉब्लम में 😂


६. दिल्ली की ओर 

बस अब  जैसे ही शामली और बड़ौत क्रॉस किया हमे लगा बस अब तो पहुच गए मगर कहा ऐसी किसमत अब हम दिल्ली मैं आ तो चुके थे मगर अभी पहुंचे नहीं थे गाड़ी की स्पीड सिर्फ बीस से तीस और ऊपर से बारिश जबरदस्त  हम इतने दुखी हो चुके थे इस ट्रैन से की जहा  भी अब ये रुके वहां  से मेट्रो ले के चले जायँगे बस इस ट्रैन मैं नहीं बैठेंगे मगर हमारी ट्रैन ऐसी की जहा मेट्रो का स्टेशन  होता वहीँ नहीं रूकती और ऐसे ही कही बिच मैं रुक जाती और अब तो चलते चलते मेट्रो का भी ऑप्शन जाने लगा था मगर हमे हार नहीं माननी चाइये और अगला स्टेशन था आनंद बिहार जहा मुझे लगा की यहा तो पक्का रुके गी और मेने बिल्डर को बोला  की यहां  ट्रैन रुके या ना  मगर हमे उत्तर लेना हैं क्यूंकि ट्रैन भी आराम से चल रही थी। 
grammatical word: finally | English Help Online's Blog
मैं बिल्डर को बोलता हुं  की सामान फेक ते हैं और कूद ते हैं मगर बिल्डर ने कहा भाई  पहले मैं कूदूंगा बाद मैं सामान देखेंगे वो इतना दुखी हो चुका था😂 इस ट्रैन से अब ये तरकीब थी हमारी अब आता  हैं आनद बिहार स्टेशन और जब देखते  हैं की ट्रैन की स्पीड हो चुकी थी सत्तर से अस्सी के करीब और वो रुकी भी नहीं अब हमने सारी  आस छोड़ दी थी और सोच लिया था अब चाहे  टाइम लेले पर दिल्ली पहुंचा दे और ऐसे ही लोगो के दुखड़े सुनतेहुए कुछ अपने हम साढ़े आठ बजे दिल्ली पहुंचे और ट्रैन के रुकने से पहले हम उसमे से कूद लिए की आगे से इस ट्रैन मैं तो नहीं आना और सब लोगो ने राहत की साँस ली। 
और फिर मैंने वहां सोनीपत आने के लिए पैसेंजर ट्रैन ली और बिल्डर ने गुडगॉंव् जाने के लिए मेट्रो हम बहुत लेट भी हो चुके थे  क्युकी हम सुबह ग्यारह बजे के चले हुए रात को साढ़े आठ दिल्ली पहुंचे  थे जो की बहुत लेट था अभी हमे एक घंटे का सफर और भी करना था पर उस ट्रैन से पीछा छुड़ाना था। अब आगे  रास्ता साफ़ था 
आपको एक बात और बताऊ वो ट्रैन सोनीपत भी आने वाली थी पर आपको लगता है में उसमे दुबारा बैठूंगा 😛


तो ये था गाइस मेरी  एक लाइफ की घटना जो मेरे साथ हुई कमैंट्स मैं बताइये ये आपको किसी लगी और अगर आपकी भी कोई ऐसी घटना या ट्रिप हैं तो मुझे कमेंट्स मैं बताइये मैं उसे अपने ब्लॉग मैं जरूर लिखूंगा 

अपने मेरे बाकि ब्लॉग नहीं पढ़े हैं तो  एक बार चेक जरूर करें  जहां मैं आपके लिए अपने लाइफ की या रियल लाइफ स्टोरीज लिखता हूँ। 



मेरा एक मार्केटिंग ब्लॉग भी हैं जहा मैं आपके लिए अमेज़न से कुछ सेलेक्टड चीज़े लता हूँ 



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धन्यवाद। ..... 😊


UNFORGETTABLE ROAD TRIP PART 2

Chaman Nagar
हेलो गाइज आपसे दुबारा मिलकर बहुत  ख़ुशी हुई। आशा करता हूँ  आप सब खुश और सुरक्षित होंगे। मेरे  न्यू  ब्लॉग मैं आपका स्वागत हैं वेलकम टू माय न्यू  ब्लॉग।🙏 तो हम चले थे एक ऐसी ट्रिप पे जिस से वापस आकर हमने राहत की साँस ली , जो की बहुत समसयाओ और मनोरंजन से भरी थी। 
तो अब हम आधे रस्ते आ चुके थे  जैसा की अपने मेरे  पिछले ब्लॉग में पढ़ा होगा। अगर नहीं पढ़ा तो पहले  इसका पार्ट एक पढ़े  
तो इस आधे रस्ते मैं भी हमने बहूत  मजे किये अब ऋषि तो आराम से चल रहा था अपने  पीछे सिर्फ एक को बिठा के। .. और हमारा होगया पाछा दर्द एक स्कूटी पे तीन बंदो का बठे बैठे,क्या करे मजबूर थे और सोच रहे थे  की काश रवि ने मना कर  दिया  होता साला आके फस गया स्कूती पे।😜तो ये था अब तक का दिन दिन का सफर और अब हो जाती हैं रात। ..... 

१. आगये ऋषिकेश 

हम चल पड़े थे देहरादून से ऋषिकेश की ओर श्याम होती जा रही थी जंगल बढ़ता जा रहा था।  चलते चलते रोड पे हमारे सिवा  कोई नहीं सिर्फ हमारी दो बाइक और इंजन की आवाज  वो सात या आठ बजे का वक्त  था  वो ऋषिकेश के टेढ़े मेढ़े रस्ते न रोड पे लाइट जिससे डर और लगता जा रहा था।  लग रहा था की कोई हमे रोक के लूट न ले।😂र दोस्त साथ में हो तो क्या डर वैसे फट तो उनकी भी रही थी। 😜
फिर भी हम कैसे न कैसे रात को दस बजे के करीब पहुंच गए ऋषिकेश जहा  अँधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था न पहाड़ और न ऋषिकेश की खूबसूरती😏फिर हम पोहचे लक्ष्मण झूले के पास झा हमने गंगा किनारे लगाई स्कूटी  और चले घूमने में पहली बार ऋषिकेश गया था तो मुझे अच्छा  तो लग रहा पर कुछ दिख नहीं रहा था और मैं सोचाता था की लक्ष्मण झूला झूलता होगा पर ऐसा कुछ नहीं था😝और  हमने एक बार उसका चक्कर  लगाया और होलिए मार्किट की ओर...... 
हमने सोचा अब कुछ खाते  हैं क्युकी सुबह  से निकले हुओ  ने कुछ खाया नहीं  था  तो हम सबसे पहले खाते  हैं छोले  कुलचे वाओ.😋र क्या स्वाद  भी मुँह में पानी अजाता हैं तो अब थोड़ा खाया तो सोचा घूमे थोड़ी भोत लड़किया देखे सुना है भोत खूबसूरत होती हैं। थोड़ी देर गंगा मैं पैर डाल  के बैठे जहा  पार्थ और रवि की दान देने के ऊपर बहस होगई मगर मुझे मजा आ रहा था।😂

अब हमें मिलता हैं एक वर्ल्ड टूरिस्ट जो  दुनिया घूमना चाहता था जिससे हमने बात की तो वो  कुछ कॉन्ट्री  घूम भी चूका था उसका नाम तो अब मुझे याद नहीं पर वो  नेपाल का बंदा था जो की अपने पेसो से संसार घूमना चाहता  था वो  भी बहुत  मजेदार था। अब हमे भूक लग रही थी और हम ऋषिकेश की सबसे मशहूर दुकान चोटी  वाला  के पास गये जहा हमे रात के ग्यारह बजे कुछ नही मिलता हैं पर उसकी रेसेपनिस्ट अछि थी मेरा तो उसको को ही देख के पेट भर गया। फिर हमने एक छोटी मोती  दुकान से कड़कती ठण्ड मैं हमने पी कोल्ड कॉफी और मेने लस्सी 😂 क्या करे और कुछ खाने को ही नही  मिला। 
अब हम रहने के लिए  गए होटल में जहा  उसने दो हजार रेट बोला तो हम बिना कुछ बोले बहार आ गए।😅फिर  गए धर्मशाला मैं पर वो  शांति रखते हैं ओर हमसे कहा शांत  रहा जाता है तो वहां से भी हमें धक्के  मार के बहार  निकाल  देते  हैं  और इस चककर मैं हम रात को ही निकलने का प्लान बना लेते हैं।और लेके दो सिगरेट  अब हम चल पड़ते हैं हरिद्वार की ओर..... 

२. अरे भाई गुलाटी 


तो आपने  देखा होगा की हमरी ट्रिप कितनी मजेदर चल रही थी😆और  अब निकक्लने लगे ही थे की मेने गुलाटी से स्कूटी की चाबी मांगी थी और उसने चोड 😜 मैं आकर फेक दी जो सीधे गंगा के किनारे जा के पड़ी जहां  हमें कुछ   दिख भी नहीं रहा और सिर्फ चाबी के गिरने की आवाज आई थी अब उस चाबी के बिना तो हम कुछ कर  भी नहीं सकते थे तो भाई क्या करे निकाले फ़ोन और जलाई टोर्च चले गए गंगा  किनारे दुआ मांगते की हे माता  ढूंढ  वाइये चाबी और फिर गंगा माँ की किरपा से मुझे चाबी दिख जाती हैं और हमारी जान में जान अती  हैं  यार मैं उस पल के बारे मैं क्या बताओ आज भी मेरे रोंगटे खड़े होजाते हैं उस बात को सोच कर, और अब हम निकलते हैं हरिद्वार की ओर........ 

३.  रात एक बजे 

अब हम नीकलते हैं हरिद्वार की ओर  सुबह से नीक्ले  हुए  ना  कुछ खाया और न आराम किया आंखो  मैं  नींद पैर बस चल रहे थे सुनसान रहो मैं हमने डर की वजह से बोला की साथ साथ चलेंगे  क्युकी अकेले होते ही फट रही थी😜और फिर  तभी हमे एक उस जंगल  वाले रोड पे एक अजीब डवाइडर दीखता हैं जिसके मैं साइड से निकलता हूँ और हमें दिखता हैं डिजाइन और पता चलता हैं की वो डवाइडर नहीं अजगर था तो अब हमारी साड़ी नींद खुल चुकी\थी। 😱

और ऐसे चलते चलते अब हम पोहचते हैं हरिद्वार जो दूर से ही चमक रहा था वो लड़ियो से सजा हुआ और अब मैं पहली बार ही हरिद्वार गया था मगर घूमने की हालत मैं नहीं था और सोच रहा था कभी आऊंगा भी नहीं अब 😂
और थोड़ी देर मेंने वहां  अपनी दस मिनट की नींद ली गंगा किनारे बेठ के  और मेरा दोस्त रवि मुझे सोने नहीं दे रहा  था  ऋषि और पार्थ चले गए चाय पिने और हम थे उनके आने के इंतजार मैं की वो आये  और हम चले कॉलेज की और। .. 
क्युकी सफर बहुत  हो चूका था। 😂

४. वो गलत रास्ता 

अब हम जलाते  हैं ऋषीकेश से ली हुई सिगरेट और निकलते हैं😜पने कॉलेज की ओर हमें गुजर के जाना था सहारनपुर से जो लोग बोल्ते  थे की रात को वहां से जाना भोत खतरनाक हैं अब् रात के तीन बजे  का टाइम था  और हम निकले सहारनपुर की ओर.....
 अब चलते चलते  सुनसान रस्ते पर एक दम से होने लगती हैं बारिश और हमने ये सोचा नहीं था तो हम एक तोलिये  के सिवा  कुछ लाये भी नहीं थे  मगर अब होती जा रही थी तेज जिसमे हमसे राइडिंग नहीं हो पा  रही थी  तो हमें एक रस्ते मैं ढाबा दिखा तो हमने वह रोक ली जहा  कोई नहीं एक मालिक जो सो रहा था न वह कोई लाइट रोड टुटा हुआ बड़ी भयानक जगह थी तो हमने वह बेटे और उसके मालिक को जगाया और चाय  के लिए बोला  शुक्र हैं उसने बना  दी नहीं तो उम्मीद नहीं थी। और हम वहा  बारिश ख़त्म होने के इंतजार मैं  थोड़े  सो गए और जब आँख खुली  तो बारिश रुक चुकी थी मगर ठण्ड बहुत ज्यादा थी हम सब कम्प रहे थे अब क्या करे बस मन में ये था की बस कैसे न कैसे पहुँच जाये😂ऑर हम निकल दिए सहारनपुर के लिए सुना हैं मुसलमानो का इलाका हैं और भोत साडी फिलमें देखि हैं गुंडा गर्दी की तो वह से थोड़ा डर  लग रहा था फिर चलते चलते हम एक रस्ते पे पहुंचे जहा कोई दिख नहीं रहा था न कोई लाइट और एक पुल्ल जो की टुटा हुआ  था  तो हमने रोका तो देखा हम गलत आ चुके हैं वो रास्ता सहारनपुर  नहीं मुज्जफरनगर जा रहा था😱र वो उससे भी खतरनाक जगहे थी तो हमने लिया  यु टर्न और हुए सहारन पुर की ओर..😌 
और ऐसे चलते चलते हमने सहारन पुर की गलियों से डरते डरते गुजर गया सहारनपुर अब आगे था यमुनानगर 

५. कब आएगा कॉलेज 

अब हमे चलते चलते सुबह के पांच बज चुके  थे और हम यमुना नगर पहुंचे तो थोड़ा दिन हो चूका था तो डर थोड़ा कम हो गया मगर अभी मंजिल दूर थी हमे एक दिन होचुका था चलते चलते  रात को सोना तो दूर हमने कही रेस्ट भी नहीं  लिया तो हमारी आँखों मैं  नींद पता नहीं कैसे स्कूटी चला रहे थे बदल बदल के न कुछ ढंग से खा रखा था और न ही सुबहा फ्रेश हुए 😂बस चलते जा रहे है चलते जा रहे हैं। 


और फिर होती हैं बारिश जो हमारी दुश्मन थी पीछा नहीं छोड़ रही थी और अब हम चला रहे हैं अपनी स्कूटी और बाइक सो से उपर की स्पीड  मैं मगर फिर भी रास्ता ख़त्म नहीं हो रहा था।😌  और फिर हम थाना छप्पर के शेड के निचे रुके पर बारिश रुकी नहीं और हम ऐसे ही निकल लिए क्युकी और नहीं घूमना था हमे 😂
और हम अगले दिन के सुबह सात बजे  अपने कॉलेज मैं पहुचे और हमने राहत की साँस ली मैं फिर सोया और अगले दिन उठा इतना दुखी हो चिका था 😂

तो ये था मेरा एक लाइफ का खतरनाक और मजेदार किस्सा जिससे आज भी मैं याद करता हूँ तो रोंगटे खड़े होजाते हैं।  पर इसमें मजा भी बहुत आया और आशा करता हूँ आपको भी आया होगा। 


अगर अपको इसमें कोई किस्सा अच्छा या आपकी लाइफ से मिलता जुलता है तो मुझे जरूर कमेंट करके बताइए। मैं इंतजार करूँगा। ..... 😊

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और अगर अपने मेरे दूसरे ब्लॉग को फोलो नहीं किआ तो एक बार चेक करे। 






धन्यवाद। 




UNFORGETTABLE ROAD TRIP OF 5 FRIENDS

Chaman Nagar

हेलो गाइज आपसे दुबारा मिलकर बहुत  ख़ुशी हुई। आशा करता हूँ  आप सब खुश और सुरक्षित होंगे। मेरे  न्यू  ब्लॉग मैं आपका स्वागत हैं वेलकम टू माय न्यू  ब्लॉग।🙏 आज मैं आपको लेके चलूँगा कुछ ऐसे सफर पे जिसे मैं तो आज तक भूल नहीं पाया और मुझे लगता हैं अगर आप भी इसे पढ़ेंगे तो भूल नहीं  पायंगे। 😋



१. दोस्त 

दोस्त ,  ये वो लोग होते हैं  जिनके साथ भी आप कुछ नहीं  क्युकी  दो मिलके तीसरे की बेइज्जती  करते रहते हैं 😂और इनके बेगैर भी  अप्प कुछ नहीं। जिनकी कमी उनके दूर रहने  पे महसूस होती है।  
तो मेरे भी कुछ ऐसे ही दोस्त हैं जो मेरे दिल के और रूम के पास ही रहते  हैं।  ये हैं  रवि  (मेरा  रूम मेट ) , ऋषि , मैं ,  पार्थ और  गुलाटी। 
अब इसमें से आप कुछ को तो  जानते होंगे  जैसे रवि , ऋषि  क्युकी इनका जिक्र  मेने  अपने पहले  ब्लॉग  http://youngsters2020.blogspot.com/2020/07/A TRIP TO MORNI HILLS .html
मैं  भी  किया हैं  और इसमें अब की बार कुछ नए सदस्य जुड़े हैं जैसे पार्थ और गुलाटी तो मैं आपको बता दू की पार्थ  एक हमारा ऐसा दोस्त हैं जो जो सिर्फ घूमने के लिए काम आता हैं क्युकी उसने कॉलेज बिच मैं ही छोड़ दिया पता नहीं क्यों  पर शक हैं  की अपने बाबू  का बिसनेस हड़पना चाहता हैं😂  और रही बात गुलाटी की तो वो भाई आमिर बाप की औलाद स्टेटस ही अलग है वो  बिचारा जबरदस्ती ही पढ़ रहा है  उसका बाबू  मैथ का HOD हैं और उस बिचारे की मैथ की supply नहीं क्लियर हो रही। 😂 

आगे आपको  पता ही  होगा की हमरा कैसे प्लैन बनता हैं और कैसे  जाने के लिए बंदे डीसाइड होते हैं। अगर नहीं पता तो उपर लिंक पे क्लिक करो और  हमारी प्लैनिंग देखो।

हमारी छुट्टिया सिर्फ शनिवार और रविवार की होती है तो हमे एक दिन का ट्रिप  देखना था जिसमे पलेंन  बना  पोंटा साहिब , देहरादून ,ऋषिकेश ,हरिद्वार ,सहारनपुर , यमुना नगर  पर फिर कॉलेज ये एक छोटा सा पलाइन बना जो पता नहीं था की इतना बड़ा हैं।😆 जो प्रॉब्लम हमने इस ट्रिप मैं झेली हैं वो मैं कभी  नहीं भूल पाउँगा जो मैं आपके साथ एक एक करके शेयर करूँगा। 

२. सुबह सात बजे 

तो  हम  चार बन्दों का जाना फ़ाइनल हुआ था  क्युकी हमारे पास  एक  गुलाटी की स्कूटी  और एक ऋषि की बाइक होती हैं जीनपे  दो दो  बन्दे आराम से बेठ  के जा सकते हैं  मगर  तभी हमारा रवि बोलता है  की मैं भी चलूँगा  पहले तो इसे अपनी  सेटिंग से मिलने जाना था पर वो भी इससे दुखी हैं 😂 उसने भी मिलने से मना कर  दिया और  ये भी  हमारे साथ  स्कूटी पे लटक लिया।  



वो रविवार के सुबह सात बजे बाइक पे दो और हम कैसे न कैसे  स्कूटी पे तीन अपने पाच्छे सेट करके निकल दिए  पोंटा  साहिब  की  ओर... 
और  अब यहा से शुरुआत होती हैं  हमारी  समस्याएं   ये समस्याएं  हमारा पीछा वापस आने तक नहीं छोड़ेंगी 
अब होता हैं  क्या की  गुलाटी  रवि और मैं चल रहे थे  स्कूटी पे अपने  मजे लेते  और चलते चलते  एक मोड़ पे रुकते हैं और अपने बाइक वालो को देखते हैं  जो की हमे दिखते नहीं। हम करते हैं फिर उन्हें फोन  तो पता चलता हैं  की हमारे  पार्थ साहब ने हाइवे  पे अपना नजर का चस्मा गिरा दिया  अब उसको  छोड़ भी नहीं सकते क्युकी साले को उसके बिना दीखता भी  नहीं 😂 और अब हम जा रहे हैं उलटे रस्ते जिससे आये थे पार्थ का चस्मा देकते देखते  उसमे कम से कम हमारा आधा घंटा लग गया  और फिर उसका चस्मा रोड के बिच मे पड़ा दिखा 
चलो टुटा नहीं,  नहीं तो हाइवे पे कोण छोड़ ता हैं।खेर  फिर हम राहत की साँस लेके चलते हैं पोंटा सैहब की और.... 


३. वो  मौसम 

तो  सड़क को पीछे छोड़ते  छोड़ते  हम पोहचते  हैं  पोंटा साहिब जहाँ  से शुआत होती पहाड़ो की , वो  हरियाली भरे  रोड  दुनिया की इस चेचाहत से दुर् शांति  मैं😜  , वो  गरजते  बादल ठंडी ठंडी हवाइये  तो उस मौसम  का मजा लेने के लिए हम रुके पोटा साहेब के  खाली रास्तो पे  जहाँ  हमने थोड़ी बहुत पिक्स ली जो  हर कोई करता हैं इन्   हंसी पलो को  बाद मैं याद करने  के लिए।  


पर  मेने  बताया हमारे लिए कोनसे हंसी  पल  एक तो स्कूटी पे तीन लोग और उप्पर  से  हमारी समस्याएं  जो पीछा नहीं छोड़ रही थी।  तो  अब  हम आगे बढ़ते हैं   घूमते हुए पोंटा सैहब  की मार्किट  और  गुरुद्वारा  और फिर  हमरी  समस्या की हम ट्रिपलिंग नहीं कर  सकते  स्कूटी पे  तो इसका उपाए  हमने ये निकला की  एक बंदा  पुलिस  वालो ( मामा )😉 से बचने के लिए चौक पे  उत्तरेगा।  तो पोंटा साहिब मैं पार्थ बैठा था  स्कूटी पे तो हर  चौक पे  वो उत्तरा और पेैदल चला बेचारा 😁

तो कुछ इस परकर हम पोंटा साहिब करते  हैं पार और चलते हैं अपने अगले मंजिल देहरादून की तरफ मगर हमारी समस्याए। ..... 😅


४. अब क्या करें 

अब  चलते  चलते  हमरा हो जाता हैं  पेट्रोल  ख़त्म और रास्ता  हैं  कुछ ऐसा जहां  हमारे  सीवा और कोई दीखता नहीं।  रास्ता खली  आस  पास जंगल  फिर हमे कुछ दूर चलने पर एक उम्मीद की किरण दिखी   हमे एक पेट्रोल पंप मिलता हैं। 😪
जहा से हम भरवाते हैं  पेट्रोल और अब हम होते हैं रेडी चलने के लिए  अपनी अगली मंजिल क लिए  और  तभी हमारी हो जाती हैं स्कूटी ख़राब  😓अब वो स्टार्ट नहीं होक दे रही थी और अब रात भी होती जा रही थी। किसी से पूछे की आगे मैकेनिक होगा तो बोले आगे तो दिर्फ़ जंगल  है और पीछे कम से कम आपको पांच किलोमीटर जाना होगा तब एक छोटा सा गाओं  है वहां मैकेनिक मिल सकता हैं। ये सुनके और फट गई 😜हालत ख़राब , करे तो करे क्या वापस जाये या आगे देखे।
 फिर हमने वापस जाना ठीक समझा और तीन बन्दों को छोड़ा पेट्रोल पंप पे और एक जना स्कूटी पे और एक बाइक से स्कूटी को लात लगा कर चल पड़ता है गाओ की ओर फिर कुछ दूर चलने पर हमे भगवन की दया से एक दुकान मिलती हैं और वहां  हमने फिर स्कूटी ठीक कराइ उन्हें लिया पंप से और फिर राहत की सांस लेते हुए चले आगे की ओर.... 

५. वेलकम टू देहरादून 

तो अब हम अपनी परेशानियों को झेलते हुए कैसे न कैसे पोहचते हैं देहरादून वहां का जो मोहोल था  आय-हाय 
बस दीवाना कर दे साफ रोड चारो तरफ हरयाली ही हरयाली😜 अचे अचे कॉलेजेस और उनकी लड़कीआ साही बताओ तो वह पर कोई बाइक ऐसी नहीं थी जिसक पीछे लड़की न बैठी हो ऐसे कपल्स गेडिया मार रहे थे और हमारा जी जल रहा था चलो छोड़ो पर क्याकर सकते हैं 😂

और फिर शहर में घुसते ही फिर हमारी ट्रिपलिंग की प्रॉब्लम शुरू हो गई और इस बार मेने  सारे देहरादून के चौक चल चल के पार किये😂 ये लोग मुझे पुलिस न भी हो तब भी उतार देते थे चला के खुस होते हैं ये दोस्त होते ही ऐसे हैं 😡
और हम देखते हैं देहरादून सच्ची अच्छा शहर हैं देहरादून आप लोगो को भी गुमके आना चाइये एक बार आने का मन नहीं करेगा।  
हमने IMA देखा जिसमे आर्मी ऑफिसर्स की ट्रेनिंग होती है वो भी हमारे लिए एक प्राउड का मोमेंट था और आगे चलते हैं तो हमे एक कॉलेज देखता हैं  जिसको हम मैं से  एक बोलता हैं की यह स्टूडेंट ऑफ़ थे ईयर की शूटिंग हुई थी 😂अब ये सब देहते देखते हम चल पड़ते हैं अपनी अगली प्रोब्लेम्स को फेस करने जोकि इनसे भी खतरनाक हैं जिनको सुनकर आपको भी डर लगने लगेगा और हम चल पड़ते हैं अपनी अगली मांजील की और वो थी ऋषिकेश  .......  

और जो हुआ हमारे साथ ऋषिकेश में उसके लिए आपको मेरे अगले ब्लॉग का इंतजार करना होगा जो की रविवार को आने वाला हैं उसके लिए आप मुझे फॉलो कर  सकते हैं फॉलो बटन पर क्लिक करके ताकि  मेरे आने वाले ब्लॉग की खबर आपको मिलती रहे।  


अगर आप्को कोई पल अच्छा या आपकी लाइफ से मिलता जुलता लगता हैं तो मुझे निचे कमेंट करके जर्रूर बताये। मैं इंतजार करूँगा। 

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धन्यवाद। ...... 😊

A TRIP TO MORNI HILLS

Chaman Nagar
तो क्या हाल है दोस्तों आपके।उम्मीद करता हूँ  अच्छे  ही होंगे , मेरे नए  ब्लॉग में आपका स्वागत है।🙏 वेलकम टू माइ  न्यू  ब्लॉग। गाइज  में आपको आज अपनी लाइफ के बेहतरीन ऑर मजे दार ट्रिप के बारे  बताने जा रहा हूँ  जीस को पढ़ कर आपको भी भोत मजे आने वाले  है तो चलो शुरु करते है। 




१. शुरुआत  मैं 

तो इसकी शुरुआत होती है मेरे दोस्तों से जिनको  तो आप जानते भी होंगे मेरे पिछले ब्लॉग में मेने  उनका जिकर किया था अगर नहीं जानते  जाओ और मेरा पिछले ब्लॉग पढ़ो  http://youngsters2020.blogspot.com/2020/06/life-of-college-student.html . 

चलो इस ट्रिप की प्लैनिंग  शुरुआत करता है  गौरव  जो  दस  दिन पहले ही लग जाता है कहने की कही चलो यारो
तो इसमे शामिल होते है  फिर मैं  और ऋषि  फिर हम देखते है की चले कहा ,जहा से एक दिन में  आना जाना  हो जाये।  क्युकी उस टाइम हमारी छुट्टिया  नहीं थी हमे शनिवार  और रविवार  की छुट्टी मिलती थी तो उसी में जाना था। 


तो हमे ट्रिप मिलता है मोरनी हिल्स जो  के  पास भी था  और  इसके बारे में  बड़ी  बड़ी   सुनी भी थी तो फिर  हम लग जाते है अर्रेंजमेंट  में,  की कैसे और कितनो को चलना है जो  की एक भोत बड़ी प्रॉब्लम  थी। गाइस में बता दू मोरनी हिलस चंडीगढ़ के नजदीक एक सूंदर सी  पहाड़ो की जगहे हैं। 


२. बाइक का  जुगाड़ 

अब बात अती  है अर्रेंजमेंट की  तो यहाँ  पर  एंटरी होती है मेरे हॉस्टल वाले दोस्तों की  जो  हैं  वंश, कशिश ,मनोज और गौरव जिसको हम प्यार से बोलते है बिल्डर (BUILDER). ये मेरे वो दोस्त हैं जो हमेश साथ रहते है और जिनके पास मैं कॉलेज में रेहता हुं ।  कॉलेज में कोई भी लेट नाईट  प्रोग्राम होता हैं  तो मैं इनके पास रुकता हुं  सच्ची ये दोस्त मेरे लाइफ में बहुत  एहमियत रखते हैं। 

अब अर्रेंजमेंट मैं इनका भोत बड़ा हाथ था इन्हिने कैसे न कैसे करके दो बाइक्स का जुगाड़ किया और एक बाइक हमारे ऋषि के पास है  ही  APACHE 200 😂 तो हमने छे बन्दो का जाना पक्का किआ जिसमे - वंश (NARELE ALA ) 😎, कशिश ,बिल्डर ,मनोज ,ऋषि और मैं तो शनिवार को हमने सब जुगाड़ कर  लिया था और सुबह निकलने का प्रोग्राम था। 

३. रात का जशन 

पर इन हॉस्टल वालो से कहा  रहा जाता हैं और ये मार जाते हैं हॉस्टल की खिड़की से छलांग 😂शनिवार रात को एक बजे  जो हम पीजी  वालो को पता नहीं और एक दम इनका हमारे पास फ़ोन अता  हैं पिजी वालो बहार आजाओ  और फिर हम सभी  पीजी वाले और हॉस्टल वाले निकलते है कॉलेज मैं चाय पिने😋 और फिर चाय पिते पिते एक बोलता चलो अभी चलते हैं मोरनी हिल्स उस टाइम रात के दो बज रहे थे पर ये तो हॉस्टल वाले है इनके लिए सब पॉसिबल हैं पर घबराओ मत हम नहीं गए हम फिर निकले अपने पीजी और वो हॉस्टल और किया  सुबहे  का इंतजार। 

४. जाने  की तयारी  

 फिर होती हैं सुबह और हम होते हैं रेडी  जाने के लिए  और आप जानते ही है हॉस्टल  वाले फिर जल्दी एके खड़े होगये और हम लगा के चस्मा फिर हम निकक्ल दिए मोरनी हिल्स की तरफ, वो प्यारी सी ठण्ड में, सुहानी धुप चलने में मजा आ रहा था  और थोड़ी थोड़ी हो  रही थी ठण्ड  पर  हमे कहा  ठण्ड  लगती  है हम तो हैं जावान  बालक  😉

तो फिर हमे लगती है भूक और हम रुकते है  समोसे वाले की दुकान पे जिसके चटनी मजे दार थी और इसी बहाने  हमने रास्ता भी पूछ लिया।  और हम चल दिए फोटो खींचते एक दूसरे के बाइक की कभी  वो आगे तो कभी हम और ऐसे करते करते हम पहोचे  मोरनी हिल्स के मोड़ पे जहा  से स्टार्ट होती है  हमारी एक मस्त और ट्विस्ट वाली जर्नी जिसमे भोत से मोड़ मुझे आज भी याद आते हैं 😂जिसका ट्विस्ट मैं आपको आगे बताऊँगा। 
फिर हम मोरनी हिल्स की तरफ भड़ते है जहा  हमे बिच मैं भोत सरे बंदरो का राज मिलता हैं और भोत बेहतरीन नज़ारे  जहा हमने भोत पिक्स ली जो आज भी हमारे जेहन में हैं।  

५. ट्विस्ट  


और फिर हम  बाइक चला के थक जाते हैं  रुकते हैं  सिगरेट वगेरा पिते हैं और फिर हम चलते हैं  ड्राइवर एक्सचेंज करके जिसमे एक बाइक ऋषि और बिल्डर चलते हैं और एक वंश और कशिश चलाते हैं और एक मैं और मनोज तो मैं थोड़ा बाइक ध्यान से चलाता हूँ तो चलते चलते  मेरे आगे होते हैं ऋषि और बील्डर  और बाइक चलता हैं बील्डर  और जिस मोड़ की में  आपसे बात कर  रहा था  वो मोड़ अता हैं जिसमे हमारे सामने हमारे दो शेर घिसड़ते जाते हैं 😂और हमसे पीछे वाले बना रहे  होते हैं व्लॉग जिसमें वो गिरते हुए भी आजाते हैं। 
YAHI MOD HAI VO

उस टाइम तो हम बड़े सीरियस थे पर क्या करे बिचारे। तो फिर इस हादसे मैं हमें  ऋषि के कंधे पर घिसड़ लगी और बील्डर के हाथ छील गए और हमे इसमें कोई नुक्सान नहीं हुआ भगवान् की दया से हां थोड़ा बील्डर बेहोश होने लगा था पर हमने ऐसे ही उसका नाम बिल्डर नहीं रख रखा वो बोलता रहा कुछ नहीं हुआ मुझे 😂


६. अंत मैं 


बस उन बिचारो  की बुझी हुई शक्ल लेकर हम पोहचते हैं मोरनी हिल्स जहा हमे  मिलता है कुछ नहीं एक लेक के सिवा  और वहा हम कुछ खाते हैं और लेते हैं कुछ फोटोज  और हमारी इस  इंट्रेस्टिंग जर्नी को र   इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए वहां  आजाती हैं बारिश ठण्ड मैं तो नहाया भी नहीं जाता इसमें  और हम वही किसी शेड मैं बेठते हैं और दो खूबसूरत लड़कीओ के गाने सुनते हैं 😍और मंगवाते हैं सबके लिए कॉफी जब तक हमारी कॉफी ख़तम नहीं होती  है हम  सुनते हैं लड़कीओ को। ...... वो भी क्या बारिश थी। 


७. कॉलेज की और 


अब हम करते हैं अपनी अपनी कॉफी  ख़त्म और होते हैं कॉलेज की तरफ वो ही टेढे - मेढ़े रस्ते पर मजेदार और अब ऋषि भी चुपचाप चला रहा था 😆... रस्ते में हमे थोड़ा BAARISH मुकाबला करना  पड़ा कही पेड़ो के निचे खड़ा होकर और ऐसे करके हमने गुजारा मोरनी हिल्स का मोड़ और थोड़ा मूड सही करने के लिए चले गए चंडीगढ़ और वहां  खाना खा के निकले सीधे कॉलेज की और इसी  बिच रस्ते में हमारे बिल्डर की आ जाती  हैं टटी 😝बिचारे के दोनों हाथ छील  गए थे पता नहीं कैसे मेनेज  किआ होगा 🤔😂


तो हां  दोस्तों ये थी मेरी एक मजेदार थोड़ी दुखद जर्नी पर इसमें बहुत  मजा आया  आप भी कभी घूमकर आऔ  मोरनी हिल्स। आज भी आगर मैं इस ट्रिप को याद करता हुं  तो मुझे मेरे दॉस्तो  की याद अती है खास कर ऋषि और बोल्डर की 😂... अगर आपको भी कुछ ऐसे हि किस्से याद हो तो मुझे बताये मैं उन्हें अपने ब्लॉग में शामिल करूँगा ताकी आपकी बातो पढ़ कर हम भी मजे ले सके निचे कमेंट करे। 

आपको इसमें क्या अच्छा  लगा मुझे निचे कमेंट करके बताये। 

और हाँ गाइस  आप मेरे मार्केटिंग ब्लॉग को भी एक बार चेक करे जहा  में आपके लिए  AMAJON .COM से  
सिलेक्टेड और बजट  में अने वाली  चीजे लता हूँ.      MARKETING BLOG

मैं आपके लिए ऐसी ही स्टोरी लाऊंगा कुछ खास और  इंट्रेस्टिंग अगली  स्टोरी आएगी वीरवार को तो सब्सक्राइब करे मेरा ब्लॉग। मेरी आने वाली स्टोरीज के लिए। 


 धन्यवाद् 😊




Download free new movies and series of 2020

Chaman Nagar
हम सबको इस लोकड़ौन में  कुछ नई  फिल्मे  और  सीरीज  देखने का मन कर रहा होगा  पर जब हम उनहे ढूंढने लगते है तो वो हमें मिलती ही नहीं है जिसे  सारा मूड खराब हो जाता है। तो आज मै  आपके लिए दो सिमपल स्टेप में मूवीज और टीवी सीरीज डाउनलोड करने का तरीका  ले  क्र आया हूँ।  

१. डाउनलोड विपिन

हांजी दोस्तो अगर अपको  कोई भी इस दुनिया की  फ्री मूवीज और सीरीज डाउनलोड करनी है तो आपको सबसे पहले  एक  (VPN  APP) डाउनलोड करना पड़ेगा जो आपको प्ले स्टोर पे  मिल जायगा और उस्का लिंक भि देदुंगा।  आप वह से भी उसको डाउनलोड कर सकते है 
                                                                How to Easily Change Your Play Store Country to Download Region ...


इनमे से दिए गए वपन में से आप कोई भी डाउनलोड कर  सकते है इसको ों करके फिर आपको अपने ब्राउज़र पे जाना है एंड 

२. साइट 

आप जब विपिन ON करलो फिर आपको एक साइट पे जाना है जिसका नाम WWW.UWATCHFREEMOVIES.COM है इसका लिंक मई निचे देदूगए जिससे अप्प इस दुनिया की कोई भी किसी भी लेटेस्ट, पुराणी मूवीज और टीवी सीरीज डाउनलोड और  ऑनलाइन देख सकते है। 
                                                            UWatchFree: Movies and TV Series To Watch Online or Download in 2020


इस लिंक से आपको आपके मन पसंद शोज टीवी सीरीज और मूवीज डाउनलोड कर पायँगए।
ये था सिंपल दो स्टेप का मूवीज डाउनलोड करने का तरीका अगर आपको कोई परेशानी अति है तो कमेंट करे।  हम आपकी हेल्प करेंगे। 


Life of an college student

Chaman Nagar
 
                                                                        
हेल्लो गाइस  वेलकम टू  माय न्यू  ब्लॉग। आपका मेरे नए ब्लॉग में स्वगत है. जैसा की आप सब लोग जानते है में बात करता हूँ  जवानी की  योंग्सटर्स की तो अपने  थंबनेल तो पढ़ ही लिया होगा। आज हम बात करेंगे कॉलेज लाइफ की जिसमे कॉलेज स्टूडेंट क्या क्या करते है , कैसे रहते और कैसे गिर पड़  के पास होते है। तो स्टार्ट करते है  सबसे पहले 

 १. अड्मिशन            Admission Procedure | Academy of Technology

  
    जब हम अपनी भारवि (twelfth)कम्पलीट करते है तब हमे  लगता है की  कॉलेज लाइफ  में  कितना मजा अता  होगा।    हम अपनी सारी  इच्छा  पुरी  करेंगे नए नए कपडे पेहनंगे , लड़कीयां  पटाएंगे , चिल मरेंगे  एंड और सब  कुछ  आपके भी सपने होंगे। जो आप अकेले रह क्र या बड़े होक पुरे करना चाह्ते  होंगे।
 
इसी  चक्कर में फिर अती  है कॉम्पिटिशन  की तयारी  बोले तो कॉलेज में एंटरी के एग्जाम की तयारी फिर उसमे मन लगा के पढ़ना नहीं तो इन्टीटूटे में जाना, में दिल्ली जाता था अप्प भी कही जाते होंगे।  उसमे भी भोत मजा अता था। 

फिर अता  है एग्जाम का रिजल्ट फिर हम देखते है की हम कहा  स्टैंड करते है जिसमे घर वाले और रिस्तेदार खूब मजा लेके जाते है फिर भी हमारा कही  न कही अड्मिशंन हो ही जाता है। 
   

२.  एंट्री इन कॉलेज                 

                                                                        Royal Entry In College Status on emiway bantai song - YouTube
    फिर हम  अपने भोत सारे  सपने सजा के कॉलेज में बोरी बिस्तर ले के चल पड़ते है। कॉलेज  को देख ने पर क्या फील अती  है यार क्या बताऊ हर तरफ लड़किया ही लड़कीया मजा आजाता है फिर हम डीसाइड  करते है की हॉस्टल या फिर पिजी  अब मेने तो पीजी लिया  क्यूकी वह थोड़ी आजादी मिलती है मेरे कुछ इसके  फायदे आपको आगे देखने को  मिलेंगे। 

फिर ये सब होने के बाद होता है कॉलेज का पहला दिन  जिसमे में पोचा  था लेट और मेने सुनी थी भोत अपनी फिजीक्स वाली टीचर से इससे मुझे तो फर्क नहीं पड़ता पर जब मेने देखा लड़किया देख के हंस रही थी तो फिर  ठान  लिया आज के बाद लेट नहीं आऊंगा। 

३. कॉलेज लाइफ   

                                                 Adjusting to College Life | Fastweb
 अरे यार ये लड़कियों के सामने तो ये सब अपना चलता रहता है मगर फिर होती है लाइफ में दोस्तों की एंटरी 
जो अपको जीना सिखाते  है  जो हरदम आपके साथ रहते है  लड़ाईया भी यही करवाते है बचाते भी खुद है।  इन दोस्तों की मैं कितनी भी बड़ाई करलु कम है मैं अपने कुछ दोस्तों के नाम बताता हूँ  रवी  , मनीष ,गौरव , ऋषि और भोत प्यारे और मेरे देल क करीब दोस्त है मैं सबके नाम नहीं ले सकता।  ये कुछ तो अपने वीडियो  भी बनाने लगे है अगर आपको भी बीट बॉक्सिंग सीखनी है तो लिंक से सिख सकते है  )https://youngsters2020.blogspot.com

फिर ये कॉलेज लाइफ हमे कुछ काण्ड करना सिखाती है जैसे गर्लफ्रेंड बनाना, बंक मरना और क्लास न लगाना रखेर ये सब होता है कॉलेज के अंदर, पर जो कॉलेज के भार हॉता है वो तो इससे भी खतरनाक होता है 

मैं आपको बताने वाला था की लोग पिगी क्यों लेते है क्यूंकि वहा  वार्डरन का डर नहीं होता और इस बिच हम सिख जाते है दारू  और  सिगग्रेट्स जो हमें उस टाइम जन्नत लगती है।  इससे आप फॉलो मत करना ये सब कॉलेज  लाइफ का हिंसा है जो अधिकतर लोग फॉलो करते है ओर ये मौज मस्ती ऐसे ही चलती  रहती है। 

 

 ४. एग्जाम  

                                                                        Odisha cancels final semester exams of undergraduate and PG ...

  और फिर आजाती है वो घडी जो हमारा कभी पिछा नहीं छोड़ती एक्साम्स  जिसे हम एक हफ्ते पहले त्यार करते है।  वैसे तो हम एग्जाम की तैयारी करते नहीं है पर जब करते है तो अच्छे  से करते है।  मगर पता नहीं क्या हाल है हमारे हम कितना ही पढ़ले एक सप्ली तो अणि ही है  और ये सुप्प्प्ली का कोई पता नहीं  होता ये कब क्लैर हो होसकताहै  फाइनल ईयर तक या फिर उसके बाद भी फिर भी हम कुछ न कुछ करके ये एक्साम्स क्लियर क्र भी ले  तो प्लेसमेंट मार देती है।  

५.  प्लेसमेंट  

                                                                          Impact of COVID-19 Outbreak on the Campus Placement Offers in India

   जब हम ये सपपली और एग्जाम के चक्क्र से बच बच कर  फाइनल ईयर के बाद  साँस लेने की सोचते है तब हमारे सामने आता है प्लेसमेंट का चक्कर जिसमे पहले तो एलिजिबिल्टी क्रिटिरैया हमसे मैच नहीं होता है हां अगर हो भी जाये तो ऐपटिटूड , इंग्लिश स्पीकिंग और करैक्टर  मार लेता है। 

अगर इसके बाद भी कोई निकल जाता है दस हजार पर मंथ और कुछ पहले ही रह लेते है किसी का बाबू का बिसनेस होता है और कोई करना चाहता है  वरना  कोई यूट्यूब और कोई मेरे जैसा ब्लॉगर बन जाता है। 


तो ये था कुछ एक मेरी और आपकी  कॉलेज लाइफ जिसमे हमे मजा, दुःख, प्रेम सब मिल जाता है ये कॉलेज लाइफ हर किसी को याद अती है आपको भी आएगी और अगर आप अभी  जाओगे कॉलेज लाइफ मैं तो मेरी तरफ से आपको  गुडलक। 

धन्यवाद मुझे इतना टाइम देने के लिए अगर आपको मुझसे कुछ पूछना या फिर बात करनी है।  तो कमेंट करो मुझे बाताओ  आपको मेरी कॉलेज लाइफ कैसी  लगी  और इसमें आपको क्या अच्छा  लगा। 


 

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  • Chaman NagarBlogging / Mechanical Engineer